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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी प्रथम प्रश्नपत्र - हिन्दी काव्य का इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2677
आईएसबीएन :0

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हिन्दी काव्य का इतिहास

प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -

(1) सुन्दरदास,
(2) संत मूलकदास,
(3) कुतुबन,
(4) मंझन
(5) डॉ. उसमान।

उत्तर -

(1) सुन्दरदास

कवि सुन्दरदास संत दादूदयाल के प्रतिभाशाली शिष्य थे। उनका समय सन् 1586-1669 है। उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार वे परमानंद खंडेलवाल की संतान थे। खंडेलवाल जयपुर राज्य की राजधानी धौसा के निवासी थे। ये छोटी अवस्था में ही दादूदयाल के शिष्य बन गये। बाद में विद्याध्ययन के लिए काशी चले गये। काशी में इन्होंने भारतीय दर्शन का गूढ़ अध्ययन किया। सन् 1621 में शेखावटी लौट आये और दादूदयाल के उपदेशों का प्रचार किया। सुन्दरदास के ग्रन्थों की रचनाएँ 42 बताई जाती हैं। उनकी सभी रचनाएँ सुन्दरदास ग्रंथावली में हैं जिसे पुरोहित हरि नारायण शर्मा ने प्रकाशित कराया है। उनकी रचनाओं का प्रमुख विषय ज्ञान योग की साधना और नीति सम्बन्धी है। उन्होंने शृंगारी काव्य की कटु आलोचना की है। निर्गुण सन्त परम्परा में सुन्दरदास ही ऐसे कवि हैं जो सुधारक एवं विद्वान कहे जा सकते हैं। अन्य निर्गुण कवि अनपढ़ थे पर वे विद्वान थे।

 

(2) संत मूलकदास

संत मूलकदास निर्गुण संत परम्परा के कवि हैं। उन्होंने निर्गुण ब्रह्म की साधना पर विशेष बल दिया है। ये अकबर के शासनकाल में भी मौजूद थे। उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर इनका जन्म सन् 1574-1682 ई. माना जाता है। ये विवाहित थे और इनके कन्या भी थी। इनके पिता का नाम सुन्दरदास खत्री था। छोटी आयु में ये विरक्त हो गये थे। मूलकदास ने अपने काव्य सुखसागर गुरु देवनाथ के पुत्र पुरुषोत्तम को गुरु के रूप में स्वीकार किया है। लेकिन उनके वास्तविक गुरु के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं है। मूलकदास की प्रामाणिक रचनाएँ हैं ज्ञानबोध रतनखान, भक्तवच्छावली, भक्ति विवेक, बारहखड़ी, रामअवतार लीला, ब्रजलीला, ध्रुवचरित, विभव विभूति, सुखसागर शब्द तथा स्फुट शब्द। स्फुट रचनाओं मे इन्होंने योग, ज्ञान और निर्गुण ईश्वर के प्रति आस्था प्रकट की है। कुछ रचनाओं में समाज में व्याप्त अंधविश्वासों का भी वर्णन है। ज्ञान-बोध, इनकी प्रमुख रचना है। उनके ग्रन्थों से आभास होता है कि पहले ये सगुणोपासक थे और बाद में निर्गुणोपासक बन गये। मूलक ने अवधी और ब्रज दोनों भाषा में काव्य रचना की है। इनके काव्य में संस्कृत व अरबी के शब्द भी मिलते हैं।

(3) कुतुबन

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने कुतुबन को शेख बुरहान का शिष्य माना है। वे जौनपुर के बादशाह शाह हुसैनशाह के आश्रित थे। इन्होंने मृगावती की रनचा की। इसका रचनाकार सन् 909 हिजरी संवत (1558) है। इस रचना में चन्द्रनगर के राजा गणपति देव के राजकुमार तथा कंचनपुर के शासक रूपमुरारी की कन्या मृगावती की प्रेमकथा का वर्णन है। आचार्य शुक्ल इस संदर्भ में कहते हैं कि इस प्रेम कहानी के द्वारा कवि ने प्रेम मार्ग के त्याग और कष्टों का निरूपण कर साधक के भगवत प्रेम का स्वरूप दिखाया है। बीच-बीच में सूफियों की शैली पर बड़े सुन्दर, रहस्यमय आध्यात्मिक आभास हैं।

इसमें नायक राजकुमार तथा नायिका मृगावती के प्रशय दर्शजन्य प्रेम निरूपण का भावात्मक रूप मे वर्णन है। मृगावती की प्राप्ति के लिए नायक योगी वेश में घर से निकल पड़ता है और मार्ग में एक अन्य सुन्दरी को किसी के चंगुल से निकालकर उससे विवाह करता हुआ अन्त में मृगावती को पाने में सफल हो जाता है। इस कथा की परिणति अपभ्रंश जैन काव्यों की परम्परा के अनुसार शांत रस में होती है। इसमें नायक की मृत्यु के उपरान्त नायिका का सती होना दिखाया गया है।

(4) मंझन

मधुमालती मंझन की काव्य रचना है। कनेसर नगर के राजा सूरजभान के पुत्र मनोहर और महारस नगर की राजकुमारी मधुमालती के अनन्य प्रेम का वर्णन इस काव्य में है। मनोहर व मधुमालती एक बार के मिलन के बाद एक-दूसरे से अलग कर दिये जाते हैं। राजकुमार मनोहर मधुमालती को पुनः प्राप्त करने के लिए विदेश निकल पड़ा। मार्ग में उसका विसरामपुर के राजा की संतान कुमारी प्रेमा से मिलन हुआ। उसे जो राक्षस उठा लाया था, राजकुमार ने उसकी हत्या कर राजकुमारी प्रेमा को मुक्त करवा लिया। प्रेमा ने राजकुमार मनोहर व मधुमालती का पुनर्मिलन करवा दिया। मधुमालती प्रेमाख्यान की कथा मृगावती से विस्तृत है। इसमें मंझन ने काव्य में परम्परागत रूढ़ियों का विस्तार से वर्णन किया है। कवि ने राजकुमार मनोहर को काव्य में योगी के रूप में प्रस्तुत किया है। अन्त में राजकुमार मनोहर मधुमालती से विवाह करने में कामयाब हो जाता है लेकिन विवाह के उपरान्त कवि ने मधुमालती के प्रति ताराचन्द के प्रेम का भी वर्णन किया है। इस काव्य रचना की पूर्ण प्रति उपलब्ध नहीं है। केवल मधुमालती को देखकर मूर्च्छित होना और प्रेमा, मधुमालती और उसकी सखियों द्वारा मिलकर ताराचन्द का उपचार करने तक का प्रसंग ही उपलब्ध है।

मृणावती की तुलना में मधुमालती प्रेमाख्यान अवांतर कथाओं व सूफी साधना से सम्बन्धित परवर्ती रचनाओं, विशेषकर जायसी के प्रेमाख्यान पदमावत की रचना प्रणाली के रचना आधार की ओर संकेत करता है। आचार्य शुक्ल ने मृगावती की तुलना में मधुमालती को सफल सूफीकाव्य बताया है।

(5) उसमान

चित्रावली काव्य के रचयिता उसमान हैं। आचार्य शुक्ल ने चित्रावली की रचना काल 1613 ई. माना है। उसमान गाजी के रहने वाले थे। इनक पिता का नाम शेख हुसैन था। इन्हें शाह निजामुद्दीन चिश्ती की शिष्य परम्परा में हाजीबाबा का शिष्य बताया गया है।

उसमान ने चित्रावली की रचना का उद्देश्य अमर होने की इच्छा बताया है। इसमें काव्यकथा की सभी प्रवृत्तियों ईश्वर स्तुति, आत्म परिचय, समकालीन शासक का उल्लेख आदि का निर्वाह किया गया है और सुजान व चित्रावली के चित्र दर्शन - जन्य प्रेम का निरूपण किया गया है। शिव के आशीर्वाद से नायक की उत्पत्ति, देव द्वारा सोते हुए नायक को नायिका के रंगमहल में पहुँचा देना, शिव मन्दिर में नायक-नायिका का प्रथम साक्षात्कार, नायक द्वारा नायिका के अतिरिक्त किसी अन्य सुन्दरी का उद्धार और उससे विवाह, नायिका के पिता द्वारा नायक का विरोध, समुद्री तूफान आदि परम्परागत कथानक रूढ़ियों का समावेश इसमें सफलतापूर्वक किया गया है। इसमें चौपाई की सात अर्द्धाली के बाद एक दोहे का प्रयोग हुआ है इसकी भाषा सरल एवं सरस है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- इतिहास क्या है? इतिहास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का आरम्भ आप कब से मानते हैं और क्यों?
  3. प्रश्न- इतिहास दर्शन और साहित्येतिहास का संक्षेप में विश्लेषण कीजिए।
  4. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व की समीक्षा कीजिए।
  5. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- साहित्य के इतिहास के सामान्य सिद्धान्त का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  7. प्रश्न- साहित्य के इतिहास दर्शन पर भारतीय एवं पाश्चात्य दृष्टिकोण का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का विश्लेषण कीजिए।
  9. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा का संक्षेप में परिचय देते हुए आचार्य शुक्ल के इतिहास लेखन में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन के आधार पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
  11. प्रश्न- इतिहास लेखन की समस्याओं के परिप्रेक्ष्य में हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की समस्या का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य इतिहास लेखन की पद्धतियों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  13. प्रश्न- सर जार्ज ग्रियर्सन के साहित्य के इतिहास लेखन पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  14. प्रश्न- नागरी प्रचारिणी सभा काशी द्वारा 16 खंडों में प्रकाशित हिन्दी साहित्य के वृहत इतिहास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रारम्भिक तिथि की समस्या पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- साहित्यकारों के चयन एवं उनके जीवन वृत्त की समस्या का इतिहास लेखन पर पड़ने वाले प्रभाव का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्येतिहास काल विभाजन एवं नामकरण की समस्या का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास का काल विभाजन आप किस आधार पर करेंगे? आचार्य शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास का जो विभाजन किया है क्या आप उससे सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
  19. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास में काल सीमा सम्बन्धी मतभेदों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- काल विभाजन की प्रचलित पद्धतियों को संक्षेप में लिखिए।
  22. प्रश्न- रासो काव्य परम्परा में पृथ्वीराज रासो का स्थान निर्धारित कीजिए।
  23. प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति बताते हुए रासो काव्य परम्परा की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (1) परमाल रासो (3) बीसलदेव रासो (2) खुमान रासो (4) पृथ्वीराज रासो
  25. प्रश्न- रासो ग्रन्थ की प्रामाणिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  26. प्रश्न- विद्यापति भक्त कवि है या शृंगारी? पक्ष अथवा विपक्ष में तर्क दीजिए।
  27. प्रश्न- "विद्यापति हिन्दी परम्परा के कवि है, किसी अन्य भाषा के नहीं।' इस कथन की पुष्टि करते हुए उनकी काव्य भाषा का विश्लेषण कीजिए।
  28. प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  29. प्रश्न- लोक गायक जगनिक पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
  33. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षित परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  34. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  35. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  36. प्रश्न- विद्यापति की भक्ति भावना का विवेचन कीजिए।
  37. प्रश्न- हिन्दी साहित्य की भक्तिकालीन परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- भक्ति आन्दोलन के उदय के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  39. प्रश्न- भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग क्यों कहते हैं? सकारण उत्तर दीजिए।
  40. प्रश्न- सन्त काव्य परम्परा में कबीर के योगदान को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- मध्यकालीन हिन्दी सन्त काव्य परम्परा का उल्लेख करते हुए प्रमुख सन्तों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  42. प्रश्न- हिन्दी में सूफी प्रेमाख्यानक परम्परा का उल्लेख करते हुए उसमें मलिक मुहम्मद जायसी के पद्मावत का स्थान निरूपित कीजिए।
  43. प्रश्न- कबीर के रहस्यवाद की समीक्षात्मक आलोचना कीजिए।
  44. प्रश्न- महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की समीक्षा कीजिए।
  45. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- भक्तिकाल में उच्चकोटि के काव्य रचना पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- 'भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  48. प्रश्न- जायसी की रचनाओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  49. प्रश्न- सूफी काव्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  50. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए -
  51. प्रश्न- तुलसीदास कृत रामचरितमानस पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  52. प्रश्न- गोस्वामी तुलसीदास के जीवन चरित्र एवं रचनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- कबीर सच्चे माने में समाज सुधारक थे। स्पष्ट कीजिए।
  55. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  57. प्रश्न- हिन्दी की निर्गुण और सगुण काव्यधाराओं की सामान्य विशेषताओं का परिचय देते हुए हिन्दी के भक्ति साहित्य के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- निर्गुण भक्तिकाव्य परम्परा में ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कबीर की भाषा 'पंचमेल खिचड़ी' है। सउदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- निर्गुण भक्ति शाखा एवं सगुण भक्ति काव्य का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  61. प्रश्न- रीतिकालीन ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक पृष्ठभूमि की समीक्षा कीजिए।
  62. प्रश्न- रीतिकालीन कवियों के आचार्यत्व पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- रीतिकालीन प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए तथा तत्कालीन परिस्थितियों से उनका सामंजस्य स्थापित कीजिए।
  64. प्रश्न- रीति से अभिप्राय स्पष्ट करते हुए रीतिकाल के नामकरण पर विचार कीजिए।
  65. प्रश्न- रीतिकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों या विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  66. प्रश्न- रीतिकालीन रीतिमुक्त काव्यधारा के प्रमुख कवियों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार दीजिए कि प्रत्येक कवि का वैशिष्ट्य उद्घाटित हो जाये।
  67. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षिप्त जीवन परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  68. प्रश्न- रीतिबद्ध काव्यधारा और रीतिमुक्त काव्यधारा में भेद स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य विशेषताएँ बताइये।
  70. प्रश्न- रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  71. प्रश्न- रीतिकाल के नामकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  72. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्य के स्रोत को संक्षेप में बताइये।
  73. प्रश्न- रीतिकालीन साहित्यिक ग्रन्थों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  74. प्रश्न- रीतिकाल की सांस्कृतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डालिए।
  75. प्रश्न- बिहारी के साहित्यिक व्यक्तित्व की संक्षेप मे विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- रीतिकालीन आचार्य कुलपति मिश्र के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  77. प्रश्न- रीतिकालीन कवि बोधा के कवित्व पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- रीतिकालीन कवि मतिराम के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- सन्त कवि रज्जब पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- आधुनिककाल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  81. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  83. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  84. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों की सोदाहरण विवेचना कीजिए।
  85. प्रश्न- भारतेन्दु युगीन काव्य की भावगत एवं कलागत सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- भारतेन्दु युग की समय सीमा एवं प्रमुख साहित्यकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  87. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य की राजभक्ति पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन काव्य का संक्षेप में मूल्यांकन कीजिए।
  89. प्रश्न- भारतेन्दुयुगीन गद्यसाहित्य का संक्षेप में मूल्यांकान कीजिए।
  90. प्रश्न- भारतेन्दु युग की विशेषताएँ बताइये।
  91. प्रश्न- द्विवेदी युग का परिचय देते हुए इस युग के हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में योगदान की समीक्षा कीजिए।
  92. प्रश्न- द्विवेदी युगीन काव्य की विशेषताओं का सोदाहरण मूल्यांकन कीजिए।
  93. प्रश्न- द्विवेदी युगीन हिन्दी कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- द्विवेदी युग की छः प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  95. प्रश्न- द्विवेदीयुगीन भाषा व कलात्मकता पर प्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- छायावाद का अर्थ और स्वरूप परिभाषित कीजिए तथा बताइये कि इसका उद्भव किस परिवेश में हुआ?
  97. प्रश्न- छायावाद के प्रमुख कवि और उनके काव्यों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- छायावादी काव्य की मूलभूत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- छायावादी रहस्यवादी काव्यधारा का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए छायावाद के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- छायावादी युगीन काव्य में राष्ट्रीय काव्यधारा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  101. प्रश्न- 'कवि 'कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जायें। स्वच्छन्दतावाद या रोमांटिसिज्म किसे कहते हैं?
  102. प्रश्न- छायावाद के रहस्यानुभूति पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- छायावादी काव्य में अभिव्यक्त नारी सौन्दर्य एवं प्रेम चित्रण पर टिप्पणी कीजिए।
  104. प्रश्न- छायावाद की काव्यगत विशेषताएँ बताइये।
  105. प्रश्न- छायावादी काव्यधारा का क्यों पतन हुआ?
  106. प्रश्न- प्रगतिवाद के अर्थ एवं स्वरूप को स्पष्ट करते हुए प्रगतिवाद के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  107. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- प्रयोगवाद के नामकरण एवं स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए इसके उद्भव के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रयोगवाद की परिभाषा देते हुए उसकी साहित्यिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  110. प्रश्न- 'नयी कविता' की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- समसामयिक कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों का समीक्षात्मक परिचय दीजिए।
  112. प्रश्न- प्रगतिवाद का परिचय दीजिए।
  113. प्रश्न- प्रगतिवाद की पाँच सामान्य विशेषताएँ लिखिए।
  114. प्रश्न- प्रयोगवाद का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- प्रयोगवाद और नई कविता क्या है?
  116. प्रश्न- 'नई कविता' से क्या तात्पर्य है?
  117. प्रश्न- प्रयोगवाद और नयी कविता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता तथा उनके कवियों के नाम लिखिए।
  119. प्रश्न- समकालीन कविता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

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